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Rajkumar Rao की ये फिल्म जातिवाद जैसे सामाजिक मुद्दों पर है आधारित,इन 5 वजहों से खास Anubhav Sinha की फिल्म

 

अनुभव सिन्हा हमेशा देश के गंभीर मुद्दों पर फिल्में बनाने के लिए जाने जाते रहे हैं। निर्देशक ने अपने करियर में कई फिल्में बनाई हैं और उन्हें प्रशंसकों द्वारा सराहा गया है। अब वह एक बार फिर एक ऐसी फिल्म लेकर तैयार हैं जिसमें कोरोना के इर्द-गिर्द कई सामाजिक मुद्दों को दिखाया गया है। फिल्म का ट्रेलर हाल ही में रिलीज किया गया है, जिसमें सदियों से देश को दीमक की तरह खा रहे कोरोना काल की कड़वी यादों के जरिए सरकार और समाज की सच्चाई को दिखाया गया है। फिल्म के ट्रेलर की खास बातें कुछ इशारों के जरिए बता रहे हैं।


बंटवारे से तुलना- देश में आज ज्यादातर लोगों ने बंटवारे का दौर नहीं देखा होगा. लेकिन हाल ही में कोरोना महामारी को सभी ने देखा है। ऐसी अजीबोगरीब स्थिति शायद ही किसी ने कभी देखी हो। अनुभव सिन्हा की इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे कोरोना से पैदा हुए हालात बंटवारे के वक्त से कम नहीं थे। उस वक्त भी लाखों लोग पलायन कर रहे थे और कुछ ऐसा ही नजारा कोरोना काल में भी देखने को मिला था। अनुभव ने इस फिल्म में विजुअल्स के जरिए कोरोना काल की तुलना उसी दौर से की है।


पुलिस हिंसा पर बात- कोरोना काल में पुलिस ने सराहनीय काम किया और कोरोना वॉरियर्स कहलाई। लेकिन ये वही दौर था जब पुलिस की सख्ती भी चरम पर थी. पुलिस द्वारा गरीबों को बेरहमी से पीटने और इस दौरान उनकी मजबूरियों को पूरी तरह से नजरअंदाज करने से बेहतर दर्द को कोई नहीं समझ सकता। भूखे-प्यासे बेचारे बेबस थे और शहर छोड़कर अपने गाँवों की ओर रुख करने को विवश थे। ये वही दौर था जब सोनू सूद मसीहा बनकर सामने आए और जरूरतमंदों को उनके घर तक सुरक्षित पहुंचाया। इस दौरान सरकार की तरफ से कोई खास मदद नहीं मिली।

गरीबों के प्रति उदासीनता- हमेशा यह देखा गया है कि गरीबों को किसी भी परेशानी का सामना सबसे पहले कैसे करना पड़ता है। कोरोना काल में वैसे तो सभी ने अपने हिस्से का दुख झेला, लेकिन जो सड़क पर थे उनकी हालत दयनीय थी, इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता. इस कोरोना काल में भी गरीब मजदूरों और निम्न वर्ग के लोगों को पूरी तरह से दरकिनार कर अपने हाल पर छोड़ दिया गया। इसे भी फिल्म में अनुभव सिन्हा ने काफी गंभीरता से दिखाया है।


धार्मिक भेदभाव- कोरोना काल में तब्लीगी जमात के साथ जिस तरह से बेरुखी बरती गई और उन पर देश में कोरोना फैलाने का आरोप लगाया गया, वह सबने देखा। इस दौरान कई मुसलमानों को खासतौर पर निशाना बनाया गया और सख्ती भी की गई। अनुभान ने इस मुद्दे को भी फिल्म में शामिल किया है और इसकी झलक ट्रेलर में भी देखने को मिल रही है।


जातिवाद का मुद्दा- सिर्फ धर्म ही नहीं बल्कि कैसे जातिवाद चुपचाप देश में अपने पांव जमा रहा है, वो भी इस ट्रेलर में एक्सपोज किया गया है। कोरोना काल में किस प्रकार उच्च जाति के लोग अपनी जाति का लाभ उठाना चाहते थे और निचली जाति के लोगों के सामने अपनी दावेदारी पेश करने का प्रयास करते थे, यह भी कोरोना काल में देखने को मिला। फिल्म के ट्रेलर में राजकुमार राव का एक सीन है जिसमें वो भी उसी तर्ज पर एक ऊंची जाति के शख्स को भड़काते नजर आ रहे हैं।