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49 साल बाद भी यह धार्मिक फिल्म आज भी बसी हुई है दर्शकों के दिलों में

 
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मनोरंजन न्यूज़ डेस्क !!! 49 साल पहले जब फिल्म 'जय संतोषी मां' रिलीज हुई थी तो इसने भारतीय सिनेमा के दर्शकों के बीच एक अनोखा और भावनात्मक जुड़ाव पैदा कर दिया था. उस समय बीटीएस (बिहाइंड द सीन्स) वीडियो या प्रमोशनल कंटेंट जैसी कोई चीज नहीं थी और दर्शक फिल्मों के किरदारों से इस तरह जुड़ जाते थे कि उन्हें असली मान लेते थे। 'जय संतोषी मां' एक ऐसी फिल्म थी जिसने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया बल्कि एक धार्मिक आंदोलन भी बन गई.

फिल्म का ऐतिहासिक महत्व और 49 साल पुरानी यादें

15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई 'जय संतोषी मां' एक ऐसी फिल्म है जिसने दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई है। फिल्म का निर्देशन विजय शर्मा ने और निर्माण सतराम रोहेरा ने किया था। फिल्म में कानन कौशल, आशीष कुमार, रजनीबाला, अनीता गुहा, भारत भूषण और बेला बोस जैसे कलाकारों ने अहम भूमिका निभाई थी. यह फिल्म अभी भी ZEE5 पर मुफ्त में उपलब्ध है ताकि नई पीढ़ी भी इसे देख सके और उस युग के जादू को महसूस कर सके।

'जय संतोषी मां' का बजट सिर्फ 25 लाख रुपये था, लेकिन इसने बॉक्स ऑफिस पर 5 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया। यह उस समय के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी, खासकर जब यह फिल्म 'शोले' जैसी फिल्म से प्रतिस्पर्धा कर रही थी। फिल्म का फैसला ब्लॉकबस्टर रहा, जो इस बात का सबूत है कि छोटे बजट की फिल्में भी दर्शकों के दिलों पर राज कर सकती हैं।

1. 'जय संतोषी मां' नए स्टार्स के साथ बनाई गई थी और इसका बजट भी बहुत कम था. इसके बावजूद फिल्म के धार्मिक कंटेंट ने इसे दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय बना दिया. लोग इसे सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि भगवान का दर्शन समझकर देखने आए।

2. यह फिल्म गांवों में इतनी लोकप्रिय थी कि लोग कहते थे, "शहर में भगवान के दर्शन हो रहे हैं।" 'जय संतोषी मां' को देखने के लिए लोग गांवों से शहरों तक बैलगाड़ियों से आते थे।

3. थिएटर में प्रवेश करते समय दर्शक अपने जूते-चप्पल बाहर ही उतारते थे। जब फिल्म में आरती का सीन आता था तो लोग खड़े होकर आरती गाते थे जैसे किसी मंदिर में हों।

4. पुराने ट्रेड विश्लेषकों के मुताबिक, जो क्रेज 'जय संतोषी मां' के लिए देखने को मिला, वैसा दोबारा किसी और फिल्म के लिए नहीं देखा गया। इस फिल्म ने दर्शकों के दिलों में एक अनोखी जगह बनाई.

5. 2006 में 'जय संतोषी मां' का रीमेक बनाया गया, लेकिन इसे पहली फिल्म जितनी लोकप्रियता नहीं मिली. शायद ऐसा इसलिए था क्योंकि उस समय दर्शकों का फिल्मों से जुड़ाव बदल गया था.

'जय संतोषी मां' का जादू आज भी कायम है

'जय संतोषी मां' को रिलीज हुए भले ही 49 साल हो गए हैं, लेकिन इस फिल्म का जादू बरकरार है. यह फिल्म न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करती है बल्कि उस युग की सादगी और आस्था को भी दर्शाती है। 'जय संतोषी मां' भारतीय सिनेमा की ऐसी अनमोल विरासत है, जिसे लोग आज भी याद करते हैं और आने वाले सालों तक याद करते रहेंगे.

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