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जानिए हिंदी सिनेमा के श्री राम के बारे में, जिनकी आस्था ने उन्हें भगवान बना दिया

 
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मनोरंजन न्यूज़ डेस्क !!! प्रेम अदीब, एक ऐसा नाम जो हिंदी सिनेमा में हमेशा के लिए अमर हो गया। वह एक कश्मीरी पंडित परिवार से थे और अपने समय के ऐसे अभिनेता थे, जिन्हें पर्दे पर श्री राम की भूमिका निभाते देखने के बाद लोग सचमुच उनकी पूजा करने लगे थे। उनका जन्म 10 अगस्त 1916 को यूपी के सुल्तानपुर में हुआ था।

सिनेमा में डेब्यू और भगवान राम का किरदार

प्रेम अदीब के पिता पंडित राम प्रसाद अदीब पेशे से वकील थे, लेकिन प्रेम का रुझान बचपन से ही फिल्मों की ओर था। उनके परिवार को उनका फिल्मों में काम करना मंजूर नहीं था, लेकिन प्रेम अदीब ने अपनी जिद और समर्पण से सिनेमा में कदम रखा और एक ऐसा किरदार चुना जिसने उन्हें अमर बना दिया। 1942 में आई फिल्म 'भरत मिलाप' में उन्होंने पहली बार भगवान राम की भूमिका निभाई। ये किरदार इतना प्रभावशाली था कि इसके बाद उन्होंने लगातार कई फिल्मों में राम का किरदार निभाया.

1943 में आई फिल्म 'राम राज्य' ने प्रेम अदीब को घर-घर में मशहूर कर दिया। इस फिल्म को देखने खुद महात्मा गांधी आये थे, जो उस समय बहुत बड़ी बात थी. इस फिल्म में उनके साथ शोभना समर्थ ने मां सीता का किरदार निभाया था. इस जोड़ी ने भगवान राम और सीता के रूप में पर्दे पर ऐसा प्रभाव डाला कि लोग वास्तव में उनकी पूजा करने लगे। भगवान राम का किरदार निभाने के लिए प्रेम अदीब ने अपने जीवन में कई बदलाव किये. उन्होंने अपने किरदार को ठीक से निभाने के लिए धूम्रपान और मांसाहारी खाना छोड़ दिया। यह उनकी आस्था और समर्पण का प्रतीक था. उन्होंने आठ फिल्मों में भगवान राम की भूमिका निभाई, जिनमें 'राम राज्य', 'बाण', 'राम विवाह', 'राम नवमी', 'राम-हनुमान युद्ध', 'राम लक्ष्मण' और 'राम भक्त विभीषण' शामिल हैं।

प्रेम अदीब का निजी जीवन

प्रेम अदीब ने कृष्णा कुमारी कौल से शादी की। उनके जीवन का आखिरी दौर भी फिल्मों से जुड़ा रहा. 1960 में आई फिल्म 'अंगुलिमाल' उनकी आखिरी फिल्म थी, जो उनके निधन के एक साल बाद रिलीज हुई थी। प्रेम अदीब 1959 में 42 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए, लेकिन अपने पीछे ऐसी विरासत छोड़ गए जिसे लोग आज भी याद करते हैं। प्रेम अदीब ने अपने जीवन और करियर से साबित कर दिया कि अगर किसी किरदार को पूरी ईमानदारी और विश्वास के साथ निभाया जाए तो वह सिर्फ पर्दे तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि लोगों के दिलों में बस जाता है। हिंदी सिनेमा के इतिहास में प्रेम अदीब को हमेशा भगवान राम के रूप में याद किया जाएगा।

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