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एक बार फिर सिनेमाघरों में दस्तक देगी 'प्यासा', जानिए कब और कहां-कहां री-रिलीज़ होगी Guru Dutt की ये आइकॉनिक फिल्म 

 
एक बार फिर सिनेमाघरों में दस्तक देगी 'प्यासा', जानिए कब और कहां-कहां री-रिलीज़ होगी Guru Dutt की ये आइकॉनिक फिल्म 

1957 में आई फिल्म 'प्यासा' विश्व सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में गिनी जाती है। इस फिल्म का निर्माण और निर्देशन गुरु दत्त ने किया था. फिल्म में वह मुख्य भूमिका में भी नजर आये थे. अब पीवीआर आईनॉक्स आपको समय में वापस ले जाने के लिए तैयार है क्योंकि वे अपनी चल रही पहल, द नॉस्टैल्जिक शो के हिस्से के रूप में प्रतिष्ठित फिल्म 'प्यासा' पेश कर रहे हैं। इसका मतलब है कि फिल्म दोबारा सिनेमाघरों में रिलीज होगी। पीवीआर आईनॉक्स के इस कदम का उद्देश्य प्रिय क्लासिक्स को पुनर्जीवित करना है, जिससे दर्शकों को सिनेमाई खजाने को नए सिरे से अनुभव करने का मौका मिले।

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'प्यासा' दोबारा रिलीज होगी
20 और 21 अप्रैल को सिने प्रेमियों को एक बार फिर 'प्यासा' की मनमोहक कहानी और अविस्मरणीय संगीत में डूबने का असाधारण अवसर मिलेगा। महान गुरु दत्त द्वारा निर्देशित और प्रतिष्ठित वहीदा रहमान अभिनीत यह फिल्म अपनी शुरुआती रिलीज के दशकों बाद भी दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रही है। सोशल मीडिया पर हालिया अपडेट में, पीवीआर आईनॉक्स के आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल ने स्क्रीनिंग की घोषणा करते हुए एक पोस्टर साझा किया। कैप्शन में लिखा है, 'प्यासा जैसे कल्ट क्लासिक्स को एक बार फिर बड़े पर्दे पर जीवंत करें। द नॉस्टैल्जिक शो के साथ, 20 और 21 अप्रैल को अपने पसंदीदा मनोरंजन स्थल पीवीआर आईनॉक्स पर विशेष रूप से आपके लिए चुनी गई कुछ सदाबहार फिल्मों का आनंद लें। अभी अपने टिकट बुक करें।

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जानिए कहां रिलीज होगी फिल्म?
'प्यासा' मुंबई, पुणे, दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु, इंदौर, जयपुर और लखनऊ जैसे व्यस्त शहरों से लेकर राउरकेला, कोचीन, हैदराबाद और चेन्नई जैसे सांस्कृतिक केंद्रों तक पूरे भारत में 27 पीवीआर आईनॉक्स सिनेमाघरों की स्क्रीन पर प्रदर्शित होगी।

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'प्यासा' की कहानी

'प्यासा' निडर होकर सामाजिक मुद्दों और कलात्मक चुनौतियों की खोज करती है। कहानी एक निराश कवि विजय के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसके शक्तिशाली शब्द सामाजिक मानदंडों को चुनौती देते हैं और मान्यता के लिए तरसते हैं। कलात्मक अभिव्यक्ति और सामाजिक उदासीनता के इसके विषय आज भी बेहद प्रासंगिक बने हुए हैं, जो समकालीन दर्शकों के साथ गहराई से जुड़ते हैं।

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