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Mount Abu में यहां हुई थी 'क़यामत से कयामत तक' की शूटिंग, Video में जानिए राजस्थान के इस टूरिस्ट हब के बारे में सबकुछ 

 
Mount Abu में यहां हुई थी 'क़यामत से कयामत तक' की शूटिंग, Video में जानिए राजस्थान के इस टूरिस्ट हब के बारे में सबकुछ 

माउंट आबू, अरावली पर्वत की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। अपनी शीतलता के लिए प्रसिद्ध यह स्थान जैन धर्म के लोगों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल भी है। माउंट आबू अपने भीतर प्रकृति की अपार सुंदरता को समेटे हुए है, जिसमें ऐतिहासिक स्मारक, सुंदर झीलें, खूबसूरत घाटियाँ, वन्यजीव अभ्यारण्य आदि शामिल हैं। माउंट आबू के इतिहास के पन्नों को पलटें तो पता चलता है कि एक समय में यह स्थान पूर्व राजघरानों के लोगों के लिए 'ग्रीष्मकालीन रिसॉर्ट' हुआ करता था। हिल स्टेशन होने के साथ-साथ यह संस्कृति, धर्म और आध्यात्म के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। आपको बता दे 90 के दशक की सुपरहिट रोमांटिक ड्रामा फिल्म 'क़यामत से कयामत तक की शूटिंग यहां की सबसे ऊंची चोटी 'गुरुशिखर' पर हुई थी  त्योहारों और समारोहों के दौरान माउंट आबू की सांस्कृतिक झलक आंखों में समा जाती है। वार्षिक आयोजनों के दौरान पूरा राजस्थान उमड़ पड़ता है और लोक नृत्य, संगीत, झांकियों और रंग-बिरंगी चीजों की दुनिया में खो जाता है।


माउंट आबू के बारे में 
पर्यटक पिकाडिली प्लाजा से स्थानीय हस्तशिल्प की वस्तुएं और कपड़े खरीद सकते हैं। पर्यटक कश्मीर कॉटेज एम्पोरियम से कश्मीरी कपड़े और हस्तशिल्प खरीद सकते हैं। निक्की लेक मार्केट माउंट आबू का सबसे मशहूर बाजार है, यहां से पर्यटक राजस्थानी पेंटिंग, हैंडबैग और चमड़े का सामान खरीद सकते हैं।

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माउंट आबू की यात्रा सुविधाएं 
माउंट आबू और उसके आसपास के नज़ारे देखने के लिए पर्यटक यहां टूरिस्ट बस सेवा का इस्तेमाल कर सकते हैं।अगर आप सर्दियों में माउंट आबू घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो गर्म कपड़े ले जाना न भूलें।

माउंट आबू का इतिहास -
माउंट आबू शुरू से ही ऋषि-मुनियों का निवास स्थान रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर कई देवी-देवता आते हैं। प्रचलित मान्यता के अनुसार गुरु वशिष्ठ ने आसुरी शक्तियों को खत्म करने के लिए इस स्थान पर यज्ञ का आयोजन किया था। भगवान महावीर भी इस स्थान पर आए थे और तब से यह स्थान जैन धर्म के लोगों के लिए तीर्थ स्थल बना हुआ है।

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माउंट आबू के बारे में सामान्य जानकारी -
राज्य- राजस्थान

स्थानीय भाषाएँ:- राजस्थानी, हिंदी और अंग्रेजी
स्थानीय परिवहन:- बस, टैक्सी, कैब और लोकल ट्रेन
पोशाक:- माउंट आबू में महिलाएँ साड़ी या घाघरा-चोली पहनती हैं। साड़ियाँ ज़्यादातर सूती या रेशमी होती हैं, जिनके किनारों पर रंगीन शीशे लगे होते हैं। महिलाएँ घाघरा-चोली के साथ दो से तीन मीटर लंबी रंग-बिरंगी चुनरी पहनती हैं। बांदा, बुगत्री, पचवारा और खोल यहाँ के ग्रामीण पुरुषों की पारंपरिक पोशाक है। इसके अलावा यहाँ के पुरुष धोती और अंगरखा (एक प्रकार का जैकेट) पहनते हैं।

भोजन:- माउंट आबू में आप दाल बाटी चूरमा, मूंग दाल हलवा, घेवर, रबड़ी और राजस्थानी थाली का स्वाद ले सकते हैं। आपको यहाँ का पान ज़रूर चखना चाहिए जो बहुत स्वादिष्ट होता है। इसके अलावा आप यहाँ के रेस्टोरेंट में पंजाबी, साउथ इंडियन, गुजराती और चाइनीज़ खाना भी खा सकते हैं।

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माउंट आबू के प्रमुख त्यौहार -
बुद्ध पूर्णिमा
माउंट आबू में बुद्ध पूर्णिमा का त्यौहार बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। तीन दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार में यहाँ के लोगों द्वारा विभिन्न कार्यक्रम और प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं। इस दौरान होने वाली नौका दौड़, घुड़दौड़, पनहारी मटका दौड़ और सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने लायक होते हैं।

माउंट आबू विंटर फेस्टिवल
माउंट आबू में हर साल पर्यटकों के लिए विंटर फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। यह 29 से 31 दिसंबर तक मनाया जाता है। इस फेस्टिवल में नृत्य, संगीत, मेले और आतिशबाजी की जाती है। इस फेस्टिवल में आस-पास के राज्यों के लोग भी हिस्सा लेते हैं। यह फेस्टिवल राजस्थान पर्यटन और माउंट आबू के नगर निगम बोर्ड द्वारा पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए आयोजित किया जाता है।

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