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Amjad Khan Death Anniversary : गब्बर  के रोल के लिए Amjad नहीं ये अभिनेता था पहला पसंद, इस तरह मिला ये एवरग्रीन रोल 

 
Amjad Khan Death Anniversary : गब्बर  के रोल के लिए Amjad नहीं ये अभिनेता था पहला पसंद, इस तरह मिला ये एवरग्रीन रोल 

हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता अमजद खान को गुजरे कई साल हो गए हैं, लेकिन अपने आइकॉनिक किरदार के जरिए वह हमेशा अपने फैंस के दिलों में जिंदा रहेंगे। वैसे तो अमजद ने अपने सभी किरदारों में जान डाल दी है, लेकिन फिल्म 'शोले' में उनके गब्बर के किरदार की बात ही कुछ और है। उनका गब्बर किरदार जिंदगी भर के लिए अमर हो गया। आज भी लोग अमजद को उनके नाम से कम और 'गब्बर' के किरदार से ज्यादा जानते हैं।

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'अरे ओ सांभा...', 'यहां से पचपन मील दूर गांव में जब कोई बच्चा रोता है तो मां कहती है बेटा सो जा, नहीं तो गब्बर सिंह आ जाएगा...' और 'कितने आदमी थे?' जैसे अमजद खान ने ठेठ अंदाज में शानदार डायलॉग बोलकर दर्शकों का दिल जीत लिया था। अमजद के अलावा 'गब्बर' के रूप में किसी और की कल्पना भी नहीं की जा सकती। लोगों का मानना है कि ये किरदार अमजद के लिए ही बना था, लेकिन शायद ही आप जानते होंगे कि अमजद खान पहले गब्बर नहीं बनने वाले थे। रमेश सिप्पी ने पहले ही गब्बर के लिए एक और स्टार चुन लिया था।

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गब्बर के लिए अमजद खान कभी भी रमेश सिप्पी की पहली पसंद नहीं थे। 12 नवंबर 1940 को पेशावर में जन्मे अमजद को यह किरदार एक मशहूर अभिनेता द्वारा ठुकराए जाने के बाद मिला था। जानिए, पहले किस एक्टर ने रिजेक्ट की थी 'गब्बर' और कैसे अमजद को इसके लिए कास्ट किया गया।धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन और संजीव कुमार अभिनीत 'शोले' 1975 में रमेश सिप्पी द्वारा निर्देशित एक ब्लॉकबस्टर फिल्म थी। फिल्म का फोकस मुख्य रूप से दो किरदारों पर था- एक गब्बर और दूसरा ठाकुर. ठाकुर का किरदार संजीव कुमार ने निभाया था, लेकिन गब्बर के लिए रमेश को थोड़ी मशक्कत करनी पड़ी। रमेश सिप्पी अपनी फिल्म 'शोले' में मशहूर अभिनेता डैनी डेन्जोंगपा गब्बर को लेना चाहते थे, लेकिन दूसरे प्रोजेक्ट्स में व्यस्त होने के कारण वह यह फिल्म नहीं कर सके। डैनी के मना करने के बाद, रमेश के सामने एक नया सितारा खोजने की चुनौती है।

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एक बार फिर रमेश सिप्पी अपनी बहन का शो देखने गए और उनकी बहन के को-स्टार अमजद खान थे. एक स्टेज शो में अमजद एक अफ्रीकी आदमी बने थे और यहीं रमेश को उनका गब्बर मिला। साल 2020 में खुद रमेश सिप्पी ने एक इंटरव्यू में अमजद खान को कास्ट करने के पीछे की मजेदार कहानी बताई थी। उन्होंने कहा था-मुझे उनका एक अभिनय देखना याद है। उनका चेहरा, व्यक्तित्व, आवाज, सब कुछ एकदम सही था। हमने उन्हें अपनी दाढ़ी बढ़ाने और तैयार होने के लिए कहा, तस्वीरें लीं। मुझे लगा कि वह इस किरदार के लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं।" अमजद खान 27 जुलाई 1992 को इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए थे। 52 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उन्होंने 'याराना', 'कालिया', 'कुर्बानी', 'लावारिस' और 'मुकद्दर का सिकंदर' समेत करीब 56 फिल्मों में काम किया था।

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