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Children’s Day पर बच्चों के प्रति प्यार की चर्चा

 
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1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस मनाया जाता है। क्या आप यह जानते हैं कि चीन व भारत के आधुनिक इतिहास में बहुत महान नेता बच्चों को बहुत प्यार करते हैं। चीन की सुश्री सुंग छिंगलिंग और भारत के जवाहर लाल नेहरू तो उन नेताओं में से दो हैं। सुश्री सुंग छिंगलिंग चीन में एक महान देशभक्त, राष्ट्रवादी, अंतर्राष्ट्रीय और कम्युनिस्ट योद्धा रही हैं। 20वीं शताब्दी में चीन के राजनीतिक मंच पर उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। साथ ही वे चीन लोक गणराज्य की मानद राष्ट्रपति भी रहीं। उधर, जवाहर लाल नेहरू भारत में आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री बने। उन्होंने भारत में स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया, और गुटनिरपेक्ष आंदोलन व शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों के संस्थापकों में से भी नेहरू एक रहे हैं।

बेशक, सुंग छिंगलिंग और नेहरू चीन व भारत के आधुनिक इतिहास में दो महान नेता रहे हैं। ऐतिहासिक पुस्तकों से हमें पता चलता है कि उनके बीच कई समानताएं भी हैं। बच्चों से प्यार तो उन समानताओं में से एक है।

दोनों महान नेताओं को बच्चों से खूब प्यार था और उन्होंने अगली पीढ़ी के स्वस्थ विकास पर बड़ा ध्यान दिया।

सुश्री सुंग की जिंदगी में बच्चों की रक्षा करना और बच्चों के शारीरिक व मानसिक स्वस्थ विकास पर ध्यान देना एक बहुत महत्वपूर्ण भाग रहा। हालांकि उनकी कोई अपनी संतान नहीं थी, लेकिन उन्होंने अपना सभी प्यार बच्चों के शिक्षा कार्य में दिया। जिससे वे लाखों हजारों बच्चों की ‘मां’ बन गईं। सुश्री सुंग के अनुसार, बच्चों को प्यार देना हर दयालु व्यक्ति का स्वभाव है। लेकिन बच्चों को शिक्षा देना देश द्वारा हमें दी गई एक जिम्मेदारी है। हमें धैर्य के साथ सही ढंग से बच्चों को शिक्षा देनी चाहिए, ताकि जीवन के पहले कई सालों में उनकी सही अवधारणा, व्यवहार और चरित्र पैदा हो सकें, साथ ही वे जीवन बिताने और काम करने को भी समझ सकें।

बच्चों की शिक्षा के प्रति अपने विचार को लागू करने के लिए सुंग छिंगलिंग ने खूब काम किए। उन्होंने क्रमश: चीन में पहले मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल अस्पताल, पहले बच्चों के महल, पहले बच्चों के कला संग्रहालय, पहले बच्चों के थिएटर और नए चीन की स्थापना के बाद बच्चों के लिये पहली पत्रिका की सफल स्थापना की। उन्होंने अक्सर यह कहा कि मेरी जिंदगी बच्चों के कार्यों से जुड़ी हुई है।

मई 1981 में सुश्री सुंग के देहांत के आधे महीने पहले समाज के विभिन्न जगत अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस की खुशी मनाने के लिये तैयारी में व्यस्त थे। हालांकि उस समय बीमारी से सुश्री सुंग की शारीरिक स्थिति बहुत खराब थी, लेकिन उन्होंने बिस्तर पर पांच-छह सौ शब्दों का एक लंबा पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि हालांकि मैं इस महासभा में भाग नहीं ले पाऊंगी, लेकिन बच्चों को प्यार देने का दिल आप लोगों के साथ धड़कता है।

सुंग छिंगलिंग ने हमेशा यह कहा कि एक देश या एक राष्ट्र को आज पर ध्यान देने के साथ भविष्य को भी ख्याल रखना चाहिए। पर एक देश व राष्ट्र का भविष्य क्या है? वह आज के बच्चे हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि बच्चों से जुड़े कार्य तो भविष्य बनाने वाले कार्य है, क्योंकि देश का भविष्य बच्चों का है। बाल कार्य के प्रति सुश्री सुंग ने रणनीतिक ²ष्टि से एक महान राजनीतिज्ञ के रूप में ऐतिहासिक जिम्मेदारी उठाकर अगली पीढ़ी की शिक्षा दी।

उधर, जवाहलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को हुआ। हर वर्ष इसी दिन भारत में बाल दिवस की खुशियां मनाई जाती हैं। हालांकि नेहरू सरकारी कार्य में बहुत व्यस्त थे, लेकिन वे समय निकालकर बच्चों के साथ बिताते थे, क्योंकि उनके विचार में बच्चे न सिर्फ़ एक देश का भविष्य हैं, बल्कि राष्ट्रीय शक्ति और संपत्ति का एक हिस्सा भी हैं।

उनकी कोशिश से भारत में एआईआईएमएस और आईआईटी की स्थापना की गई। इसके अलावा नेहरू ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के माध्यम से बाल कुपोषण और शिशु मृत्युदर को कम करने जैसी सिलसिलेवार समस्याओं को हल करने के लिए एक योजना लागू कर सभी लोगों से बाल स्वास्थ्य पर ध्यान देने की अपील की। साथ ही हर बार बच्चों से जुड़ी गतिविधियों में भाग लेने पर वे हमेशा मुस्कुराते रहते थे।

(चंद्रिमा : चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

–आईएएनएस

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