G. P. Sippy Anniversary Special : फिल्म निर्माता ने नहीं बल्कि वकालत में अपनी पहचान बनाना चाहते थे सिप्पी साहब, ऐसे हुई सिनेमा में एंट्री
हिंदी सिनेमा के फिल्म निर्माता जीपी सिप्पी किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। अपने करियर के दौरान उन्होंने कई सुपरहिट फिल्में बनाई हैं। वह न केवल निर्माता थे बल्कि एक अच्छे निर्देशक भी थे। जी पी सिप्पी का पूरा नाम गोपालदास प्रेमचंद सिप्पी था। बहुत कम लोग जानते हैं कि जीपी फिल्म बिजनेस की दुनिया में नहीं बल्कि वकालत के पेशे में जाना चाहते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान दो दोस्त मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में वकील बनने के इरादे से मुंबई आए थे। दोनों ने पुलिस अभियोजक के लिए आवेदन किया। इनमें से एक का चयन किया गया। इस पद के लिए जिस शख्स को चुना गया वो थे राम जेठमलानी। आगे चलकर जेठमलानी देश के सबसे बड़े वकील बनकर उभरे।
जिनका चयन नहीं हो सका वो थे जीपी सिप्पी। जीपी सिप्पी वकील के तौर पर खुद को स्थापित नहीं कर सके, लेकिन बाद में वह देश के सबसे सफल निर्माताओं में से एक बन गये। जीपी सिप्पी के फिल्मी करियर की बात करें तो उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 1951 में की थी। बतौर निर्माता उनकी पहली फिल्म का नाम सजा था। इसके बाद उन्होंने ब्रह्मचारी, सीता और गीता, शान, सागर, पत्थर के फूल और राजू बन गया जेंटलमैन जैसी फिल्मों का निर्माण किया।
हालांकि, उनके करियर की सबसे यादगार फिल्म शोले थी। इस फिल्म के निर्माण के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। ये फिल्म इतनी बड़ी हिट साबित हुई कि जीपी सिप्पी का नाम इतिहास में दर्ज हो गया। फिल्में प्रोड्यूस करने के अलावा जीपी सिप्पी ने कुछ चुनिंदा फिल्मों का निर्देशन भी किया है। इनमें मरीन ड्राइव, मिसेज 420, भाई बहन और मिस्टर इंडिया जैसी फिल्में शामिल हैं।