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Suraiya Death Anniversary : देवानंद को दीवानों की तरह चाहती थी सुरैया, बेइंतहा इश्क के बाद भी जानिए क्यों नही हुए एक 

 
Suraiya Death Anniversary : देवानंद को दीवानों की तरह चाहती थी सुरैया, बेइंतहा इश्क के बाद भी जानिए क्यों नही हुए एक 

15 जून 1929 को पंजाब के एक मुस्लिम परिवार में एक लड़की का जन्म हुआ। नाम था सुरैया. लोग एक्ट्रेस की अदाकारी से ज्यादा उनकी खूबसूरती के कायल थे. आज सुरैया की बरसी है. आज ही के दिन साल 2004 में सुरैया ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. आज सुरैया की बरसी पर हम बात करेंगे उनके और देवानंद के प्यार के किस्सों के बारे में. वही देवानंद जिन्हें 10 साल तक भारत के सबसे महंगे सुपरस्टार होने का गौरव हासिल है। वहीं देवानंद जिनके लिए सुरैया जैसी अभिनेत्रियां जीवनभर कुंवारी रहीं। सुरैया एक समय हिंदी फिल्मों की बड़ी हस्ती थीं, वह अभिनेत्री होने के साथ-साथ गायिका भी थीं।

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रिपोर्ट के मुताबिक, देवानंद की सुरैया से पहली मुलाकात फिल्म 'विद्या' के सेट पर हुई थी। देवानंद ने अपना परिचय देते हुए कहा था, ''मुझे सब लोग देव कहकर बुलाते हैं। आप मुझे किस नाम से बुलाना चाहेंगे? सुरैया ने कहा- देव' देवानंद अपनी आत्मकथा रोमांसिंग विद लाइफ में लिखते हैं, 'विद्या' के सेट पर गाना बजा, कैमरा घूम गया। सुरैया ने मुझे पीछे से गले लगा लिया. मुझे उसकी सांसों की गर्माहट महसूस हुई. मैंने उसके हाथों को चूमा और फिर उस पर फ्लाइंग किस किया।'' सुरैया ने उसके हाथ के पिछले हिस्से को चूमकर जवाब दिया। डायरेक्टर चिल्लाए, ''शानदार शॉट'' और फिर शुरू हुआ दोनों के बीच प्यार का सिलसिला. दोनों को पहली नजर में ही प्यार हो गया. फिल्म सेट पर उनकी नजरें एक-दूसरे को ढूंढती रहती थीं। दोनों ने एक दूसरे को प्यार भरे नाम भी दिए. सुरैया ने अपने पसंदीदा उपन्यासों में से एक के नायक के नाम पर देव आनंद का नाम स्टीव रखा। वहीं देव आनंद को सुरैया की नाक थोड़ी लंबी लगी तो उन्होंने सुरैया का नाम रख दिया...नोसी।

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जब सुरैया और देव आनंद के प्रेम प्रसंग की चर्चा पूरी फिल्म इंडस्ट्री में होने लगी तो इसकी भनक सुरैया की दादी को लग गई। उन्होंने देव आनंद के घर में आने पर रोक लगा दी, हालाँकि सुरैया की माँ देव आनंद को बहुत पसंद करती थीं, लेकिन सुरैया की दादी घर पर राज करती थीं और उन्हें सुरैया और देव आनंद के रिश्ते पर सख्त आपत्ति थी। दूसरी ओर, सुरैया अपनी दादी की हर बात मानती थीं। सुरैया की दादी को सुरैया का दूसरे धर्म के लड़के से रिश्ता बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने सुरैया पर बंदिशें लगानी शुरू कर दीं। शूटिंग के अलावा सुरैया को देव से मिलने भी नहीं दिया जाता था।

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जिस समय सुरैया और देव आनंद का प्यार परवान चढ़ रहा था, देव आनंद का फिल्मी करियर परवान चढ़ रहा था और सुरैया एक स्थापित नाम थीं। देव आनंद सुरैया से बहुत प्यार करते थे। उनकी आत्मकथा 'रोमांसिंग विद लाइफ' में लिखा है कि उस समय देव साहब ने सुरैया को तीन हजार रुपये की हीरे की अंगूठी दी थी। स्टारडस्ट मैगजीन को दिए इंटरव्यू में सुरैया ने कहा था- एक दिन शूटिंग के दौरान मैंने देव की दी हुई अंगूठी अपनी उंगली में पहन ली लेकिन मेरी दादी को इस बारे में पता चल गया। उसने ज़बरदस्ती मेरे हाथ से वो अंगूठी छीन ली. मुझे पता था कि देव ने दोस्तों से उधार लेकर मेरे लिए वह महंगी अंगूठी खरीदी है। मैं उस रात बहुत रोई।

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सुरैया की दादी ने तय कर लिया था कि वह सुरैया और देव को एक नहीं होने देंगी और ऐसा नहीं हुआ। बाद में देवानंद ने कल्पना कार्तिक से शादी कर ली लेकिन सुरैया जीवन भर अविवाहित रहीं। उस वक्त बेशक सुरैया देव आनंद से शादी करने की हिम्मत नहीं जुटा पाईं लेकिन वह हमेशा देव आनंद की यादों में खोई रहती थीं। 31 जनवरी 2004 को 74 साल की उम्र में जब सुरैया की मौत हुई तो सभी को उम्मीद थी कि देवानंद उन्हें आखिरी विदाई देने आएंगे लेकिन वो नहीं आए और इस तरह ये प्रेम कहानी खत्म हो गई।

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