पाकिस्तान की एक लड़की ने भंसाली की मच अवेटेड सीरीज Heeramandi में निकाल डाली कई खामियां, पढ़े पूरी रिपोर्ट
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संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज 'हीरामंडी: द डायमंड बाजार' नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है। इसे दर्शकों से मिली जुली प्रतिक्रिया मिल रही है। यह एक पीरियड ड्रामा सीरीज़ है, जिसमें कई कलाकारों ने काम किया है। भंसाली की हर फिल्म चर्चा में रहती है. उन्होंने 'हीरामंडी: द डायमंड बाजार' से वेब सीरीज में डेब्यू किया है। उनकी फिल्मों की तरह ये सीरीज भी चर्चा के केंद्र में है।
पाकिस्तानी दर्शकों ने जमकर आलोचना की
हाल ही में एक पाकिस्तानी दर्शक ने 'हीरामंडी: द डायमंड बाज़ार' की टाइमिंग, लोकेशन और वेशभूषा को लेकर आलोचना की। दरअसल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर हम्द नवाज नाम के एक यूजर ने इस सीरीज को देखने के बाद अपना रिएक्शन शेयर किया. उन्होंने लिखा, "अभी हीरामंडी देखी। इसमें हीरामंडी को छोड़कर सब कुछ मिला। मेरा मतलब है कि या तो अपनी कहानी 1940 के लाहौर में सेट न करें और यदि आप ऐसा करते हैं तो इसमें आगरा का परिदृश्य, दिल्ली की उर्दू, लखनऊ का परिदृश्य होना चाहिए। मत दिखाओ 1840 की वेशभूषा और माहौल। मेरी लाहौरीपन इसे इस तरह नहीं देख सकती।
Just watched Heeramandi. Found everything but heermandi in it.
— Hamd Nawaz (@_SophieSchol) May 3, 2024
I mean either you don’t set your story in 1940’s Lahore, or if you do- you don’t set it in Agra’s landscape, Delhi’s Urdu, Lakhnavi dresses and 1840’s vibe. My not-so-sorry Lahori self can’t really let it go. pic.twitter.com/1O6Iq36SV9
भाषा पर भी सवाल उठाए गए
हम्द नवाज ने सीरीज की भाषा को लेकर भी सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि 1940 में औसत लाहौरी लोग बिल्कुल भी उर्दू नहीं बोलते थे। वह पंजाबी भाषा बोलते थे। इसके अलावा उन्होंने सीरीज में महिला किरदारों द्वारा पहने गए आभूषणों की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि वेश्याओं के पास इतने गहने खरीदने के लिए कभी भी वित्तीय सुरक्षा नहीं होती थी। उन्होंने कहा कि हीरामंडी ग्लैमर की गली नहीं बल्कि शोषण, गुलामी और गरीबी की गली है। वहां रहने वाले सभी लोग कम से कम उसी तरह दिखने के हकदार हैं जैसे वे थे।