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कंघी-कप-प्लेट से भी संगीत बना देते थे ये सेलेब,संगीतकार के निधन के बाद जब खुला लॉकर, रुपया देख दंग रह गए लोग

 
कंघी-कप-प्लेट से भी संगीत बना देते थे ये सेलेब,संगीतकार के निधन के बाद जब खुला लॉकर, रुपया देख दंग रह गए लोग

आरडी बर्मन की गिनती बॉलीवुड के मूल रचनाकारों में होती है। संगीतमय माहौल में जन्मे आरडी बर्मन ने महज 9 साल की उम्र में पहला गाना 'ऐ मेरी टोपी पलट के आ' तैयार किया था, जिसे उनके पिता एसडी बर्मन ने फिल्म 'फंटूश' में इस्तेमाल किया था। कई फिल्मों को अपने संगीत से सजाने वाले आरडी बर्मन सुपरहिट गानों की धुन पल भर में कंपोज़ कर देते थे। 1960-70 के दशक में शम्मी कपूर और राजेश खन्ना जैसे अभिनेताओं की फिल्मों की सफलता में आरडी बर्मन का विशेष योगदान था। 

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कहा जाता है कि आरडी बर्मन बारिश की बूंदों के गिरने से लेकर पेड़-पत्तों की सरसराहट तक, भिखारी के भीख मांगने के अंदाज में सबकुछ रिकॉर्ड कर लेते थे। हर चीज में संगीत तलाशने वाले पंचम दा की यही खासियत उन्हें औरों से अलग करती थी। आरडी बर्मन बांस, कप-प्लेट, कंघी, कांच की बोतलें, कार्डबोर्ड-लकड़ी के बक्से जैसी चीजों का इस्तेमाल कर संगीत तैयार करते थे। सुपरहिट फिल्म 'शोले' के 'महबूबा, महबूबा' गाने को पंचम दा ने खुद अपनी आवाज दी थी। 

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दरअसल इस गाने को किशोर कुमार द्वारा गाया जाना था लेकिन किसी वजह से वो नहीं आ पाए तो खुद पंचम दा ने इसे गाया और इसे एक ऐतिहासिक गाना बना दिया. यह गाना एक ग्रीक गाने से प्रेरित है, आपको जानकर हैरानी होगी कि इसमें आने वाले इंटरवल पानी से भरी बीयर की बोतल से निकलने वाली आवाजों का इस्तेमाल इसे भरने के लिए किया जाता था। 1980 का दशक आरडी बर्मन के लिए पतन का दशक था। लोगों की पसंद बदल रही थी, हिंदी फिल्मों से रोमांस दूर जा रहा था और एंग्री यंगमैन जैसे विषयों की एंट्री हो रही थी. नासिर हुसैन, देव आनंद जैसे फिल्म निर्माता, जो पंचम दा के बिना संगीत की कल्पना नहीं कर सकते थे, अन्य संगीत निर्देशकों की ओर मुड़ने लगे।

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आरडी बर्मन की मौत के बाद उनकी संपत्ति को लेकर काफी विवाद हुआ था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पंचम दा के सेक्रेटरी भरत और पत्नी आशा भोसले के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि मामला पुलिस तक पहुंच गया था। आरडी बर्मन की संपत्ति के अलावा सबकी नजर एक बैंक लॉकर पर थी। आशा और भरत दोनों को इस बात का अंदाजा था कि इस लॉकर में जेवर और बड़ी रकम होगी। दोनों ने अपनी-अपनी दावेदारी पेश की। बैंक अधिकारियों ने आशा-भारत के अलावा पंचम दा के कुछ रिश्तेदारों को बुलाया और सबके सामने लॉकर खुलवाया गया। लॉकर खुलते ही सभी हैरान रह गए क्योंकि लॉकर में सिर्फ 5 रुपये थे।

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